13 अगस्त 2024 को डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध पुस्तकालय विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. एस.आर. रंगनाथन की 132वीं जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ. रंगनाथन को भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिन्होंने इस क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कार्यक्रम की मुख्य बातें
कार्यक्रम की शुरुआत वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. सी.एल. ठाकुर द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ की गई। इसके बाद डॉ. एस.आर. रंगनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुख्य अतिथि डॉ. ठाकुर ने अपने संबोधन में शैक्षणिक संस्थानों में पुस्तकालयों के महत्व पर प्रकाश डाला और डिजिटल युग में उनकी विकसित भूमिका पर चर्चा की।
नए पाठ्यक्रम और छात्रों का स्वागत
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. एच.पी. सांख्यान ने नए लॉन्च किए गए बैचलर ऑफ लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस (बी.लिब और आई.एससी.) पाठ्यक्रम के पहले बैच के छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में डॉ. रंगनाथन के योगदान को सराहा और आज के शैक्षिक परिदृश्य में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दिया।
छात्रों की भागीदारी और रचनात्मकता
बी.लिब और आई.एससी. के छात्रों ने इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी निभाई। उन्होंने पोस्टर, भाषण और कविताओं के माध्यम से अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया। यह आयोजन छात्रों, सहायक पुस्तकालयाध्यक्षों, कर्मचारियों, और वैधानिक अधिकारियों की उपस्थिति से और अधिक यादगार बन गया।
पुस्तकालयों की भूमिका और ज्ञान का प्रसार
डॉ. ठाकुर ने अपने संबोधन में पुस्तकालयों को ज्ञान के मंदिर के रूप में वर्णित किया और आधुनिक शैक्षणिक व्यवस्था में उनके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तकालय न केवल पुस्तकों का संग्रहालय हैं, बल्कि वे ज्ञान का प्रसार और सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं।
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13 अगस्त 2024 को डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध पुस्तकालय विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. एस.आर. रंगनाथन की 132वीं जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ. रंगनाथन को भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिन्होंने इस क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कार्यक्रम की मुख्य बातें
कार्यक्रम की शुरुआत वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. सी.एल. ठाकुर द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ की गई। इसके बाद डॉ. एस.आर. रंगनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुख्य अतिथि डॉ. ठाकुर ने अपने संबोधन में शैक्षणिक संस्थानों में पुस्तकालयों के महत्व पर प्रकाश डाला और डिजिटल युग में उनकी विकसित भूमिका पर चर्चा की।
नए पाठ्यक्रम और छात्रों का स्वागत
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. एच.पी. सांख्यान ने नए लॉन्च किए गए बैचलर ऑफ लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस (बी.लिब और आई.एससी.) पाठ्यक्रम के पहले बैच के छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में डॉ. रंगनाथन के योगदान को सराहा और आज के शैक्षिक परिदृश्य में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दिया।
छात्रों की भागीदारी और रचनात्मकता
बी.लिब और आई.एससी. के छात्रों ने इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी निभाई। उन्होंने पोस्टर, भाषण और कविताओं के माध्यम से अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया। यह आयोजन छात्रों, सहायक पुस्तकालयाध्यक्षों, कर्मचारियों, और वैधानिक अधिकारियों की उपस्थिति से और अधिक यादगार बन गया।
पुस्तकालयों की भूमिका और ज्ञान का प्रसार
डॉ. ठाकुर ने अपने संबोधन में पुस्तकालयों को ज्ञान के मंदिर के रूप में वर्णित किया और आधुनिक शैक्षणिक व्यवस्था में उनके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तकालय न केवल पुस्तकों का संग्रहालय हैं, बल्कि वे ज्ञान का प्रसार और सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं।
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