फ्रांस और नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एक्रोपिक्स प्रोजेक्ट पर कर रहे संयुक्त कार्य
हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मंडी में फ्रेंच रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर, फूड एंड एनवायरनमेंट (INRAE) और डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिकों ने एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खेती की पहल के सामाजिक प्रभावों का मूल्यांकन करना था। यह कार्यशाला यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित एग्रो इकोलॉजिकल प्रोटेक्शन टुवर्ड्स इंटरनेशनल को-इनोवेशन डायनेमिक्स एंड एविडेंस ऑफ सस्टेनेबिलिटी (AGROPICS) परियोजना के अंतर्गत आयोजित की गई थी।
इस कार्यशाला में INRAE के प्रोफेसर एलिसन लोकोंटो, प्रोफेसर मिरीले मैट, डॉ. एवलीन लोस्ट और डॉ. रेने वान डिस ने भाग लिया। नौणी विश्वविद्यालय की एक्रोपिक्स टीम ने इनके साथ मिलकर स्थानीय किसानों के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें प्राकृतिक खेती के सामाजिक प्रभावों का गहन विश्लेषण किया गया। एक्रोपिक्स कंसोर्टियम में 12 देशों के 15 सदस्य और 12 शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं, जिनमें नौणी विश्वविद्यालय भी शामिल है। इस परियोजना के अंतर्गत, प्रत्येक देश में एक सतत कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन किया जा रहा है। भारत से, ग्राम दिशा ट्रस्ट और चौपाल नेचुरल फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी को सस्टेनेबल एग्रो इकोसिस्टम के रूप में चयनित किया गया है।
प्रोफेसर एलिसन ने कार्यशाला में परियोजना के उद्देश्यों और विभिन्न देशों में टिकाऊ कृषि प्रथाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इन प्रथाओं से रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम होगा और कृषि पारिस्थितिकी में फसल सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा, आत्मा मंडी के परियोजना निदेशक राकेश कुमार ने CETARA प्रमाणन प्रणाली पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें प्राकृतिक खेती के लिए प्रमाणन की प्रक्रिया और ट्रेसेब्लिटी के महत्व पर चर्चा की गई।
कार्यशाला में विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंद्र देव ने विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता दोहराई कि वे टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल कृषि तकनीकों को बढ़ावा देंगे, जिसमें प्राकृतिक खेती भी शामिल है। उन्होंने प्राकृतिक कृषि गतिविधियों को और बढ़ाने और इन प्रथाओं का समर्थन करने के लिए हितधारकों के बीच सहयोग पर जोर दिया।
ग्राम दिशा ट्रस्ट और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से तीन किसान उत्पादक कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी इस कार्यशाला में भाग लिया। ये सभी कंपनियां नौणी विश्वविद्यालय के सस्टेनेबल फूड सिस्टम प्लेटफ़ॉर्म (SusPNF) प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक किसानों को सशक्त बनाना, कृषि पद्धतियों को उन्नत करना और स्थानीय सामुदायिक कल्याण में सुधार करना है।
इस कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश के पदमश्री पुरस्कार विजेता नेक राम शर्मा, आत्मा मंडी के संजय कुमार, और विश्वविद्यालय के कई वैज्ञानिक और किसान उपस्थित रहे।