डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के मधुमक्खी और परागणक अनुसंधान केंद्र (एआईसीआरपी एच.बी. एंड पी) को सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र के रूप में सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार पालमपुर में आयोजित एआईसीआरपी की वार्षिक समूह बैठक 2023-24 में प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में आईसीएआर के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. टी.आर. शर्मा और सहायक महानिदेशक (पौध संरक्षण और जैव सुरक्षा) डॉ. पूनम जसरोटिया की अध्यक्षता में पूरे देश के 25 एआईसीआरपी केंद्रों ने अपने शोध कार्यों की प्रस्तुति दी।
सोलन केंद्र ने मधुमक्खी परागण पर प्रमुख अनुसंधान किया, जिसमें कैमोमाइल, अलसी, तुलसी, ग्लोरी लिली जैसी औषधीय फसलों और किन्नौर के कल्पा क्षेत्र में नाशपाती जैसे फलों की फसलों पर महत्वपूर्ण अध्ययन शामिल हैं। अध्ययन के परिणामस्वरूप मधुमक्खी परागण से फसल उत्पादन और अन्य आर्थिक मापदंडों में सुधार देखा गया। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती प्रणालियों में मधुमक्खियों का उपयोग पारंपरिक खेती के मुकाबले प्याज और सूरजमुखी के बीज उत्पादन, अंकुरण दर और अंकुर वृद्धि में लाभकारी साबित हुआ।
केंद्र ने एपिस मेलिफेरा प्रजाति में रॉयल जेली उत्पादन बढ़ाने के लिए चयनात्मक प्रजनन और भँवरा पालन तकनीकों पर भी अनुसंधान किया है। इस उपलब्धि पर कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने परियोजना अन्वेषक डॉ. किरण राणा, सह-पीआई डॉ. मीना ठाकुर और टीम के अन्य सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने परागण की महत्ता और मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में केंद्र के निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की।
अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान, बागवानी महाविद्यालय के डीन डॉ. मनीष शर्मा और विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी टीम को इस सफलता पर बधाई दी।