प्रसार शिक्षा निदेशालय, चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के कृषि एवं पशुपालन विशेषज्ञों ने अक्टूबर 2024 के दूसरे पखवाड़े में किए जाने वाले महत्वपूर्ण कृषि और पशुपालन कार्यों के लिए किसानों को निम्नलिखित सलाह दी है। इन सिफारिशों को अपनाकर प्रदेश के किसान अपनी फसल और पशुधन से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
गेहूं की खेती
निचले और मध्य पर्वतीय क्षेत्रों के किसान सिंचित और असिंचित क्षेत्रों के लिए अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के मध्य तक गेहूं की बुवाई कर सकते हैं। उपयुक्त किस्मों में एच.एस.- 542 और वी.एल.- 829 शामिल हैं। जौ के लिए, हिम पालम जौ-1, हिम पालम जौ-2, और एच.बी.एल.-113 किस्में अनुशंसित हैं।
बुवाई से पहले, 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें और इसे फफूंदनाशक जैसे बैविस्टिन (2.5 ग्राम/किग्रा) या वीटावैक्स (2.5 ग्राम/किग्रा) से उपचारित करें।
दलहनी फसलें
अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में चने की बुवाई की जा सकती है। चने के लिए उचित किस्मों में हिमाचल चना-2, हिमाचल चना-1, और जी.पी.एफ.-2 शामिल हैं। कतारों के बीच 30-50 सेमी की दूरी रखें और बीज को 10 सेमी गहरा लगाएं। बीज को बैविस्टिन (3 ग्राम/किग्रा) से उपचारित करें।
तिलहनी फसलें
राया, गोभी सरसों और भूरी सरसों की उपयुक्त किस्मों में आर.सी.सी.-4, नीलम, करण राई, एच.पी.बी.एस.-1, और हिम पालम अलसी-1 शामिल हैं। बीज की मात्रा और अंतराल का ध्यान रखते हुए बुवाई करें।
सब्जी उत्पादन
निचले पर्वतीय क्षेत्रों में मटर, लहसुन, पालक, मेथी, मूली और अन्य सब्जियों की बुवाई करें। बीजाई के समय सही मात्रा में खाद और उर्वरकों का प्रयोग करें, जैसे गोबर की खाद और इफको मिश्रित खाद। इसके अलावा, प्याज की नर्सरी तैयार करने का यह उचित समय है।
फसल संरक्षण
सब्जियों में कीट और रोगों से बचाव के लिए फार्मलीन से क्यारियों का उपचार करें। फफूंदनाशक और कीटनाशक का उपयोग करते समय सही मात्रा का पालन करें। बीज उपचार से फसलों को विभिन्न बीमारियों से बचाया जा सकता है।
पशुधन प्रबंधन
गौशाला को साफ रखें और पशुओं में खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारियों से बचाव के उपाय करें। नवजात बछड़ों को जन्म के 1-2 घंटे के भीतर खीस (कॉलस्ट्रम) अवश्य पिलाएं। पशुओं को संतुलित आहार और खनिज लवण दें।
मछली पालन
मछली पालक अपने तालाबों में ताजे पानी का प्रवाह सुनिश्चित करें और उच्च गुणवत्ता वाला आहार दें। इससे मछलियों की वृद्धि तेज होगी और उनका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।
मुर्गी पालन
मुर्गियों के लिए 15-16 घंटे की रोशनी का प्रबंध करें और बिछावन को सूखा रखें। चूजों को प्रमाणित हैचरी से ही खरीदें ताकि उनकी वृद्धि और स्वास्थ्य सही रहे।
किसानों और पशुपालकों से अनुरोध है कि अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि तकनीकी सूचना केंद्र से संपर्क करें।