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वैकल्पिक पशु चारे पर संगोष्ठी: सूखे अनाज आधारित पशु आहार की भूमिका पर चर्चा

पालमपुर, 25 अक्टूबर 2024: चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के डॉ. जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय में ‘‘वर्तमान दौर में पशुओं को खिलाने में डिस्टिलर्स के सूखे अनाज के साथ घुलनशील पशु आहार (डीडीजीएस) का उपयोग’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने किया।

उद्घाटन सत्र में, कुलपति प्रो. कुमार ने पहाड़ी क्षेत्रों में चारे की कमी और पशुपालन में आ रही चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश की लगभग 36 प्रतिशत भूमि चारागाह के रूप में चिन्हित है, लेकिन यह भूमि केवल कुछ महीनों, मुख्यतः बरसात के मौसम में, ही पर्याप्त चारा प्रदान कर पाती है। प्रो. कुमार ने इस स्थिति में डीडीजीएस जैसे वैकल्पिक चारे के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जैव ईंधन के रूप में इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि ने मक्का जैसे अनाज के अवशेष उत्पाद, डीडीजीएस, के रूप में एक संभावित पौष्टिक स्रोत प्रदान किया है। यह पशुओं के लिए विटामिन और खनिजों से भरपूर आहार का विकल्प बन सकता है, जो उनकी पोषण आवश्यकताओं को संतुलित करने में सहायक होगा।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. रविंद्र कुमार और पशु पोषण विभाग की प्रमुख डॉ. शिवानी कटोच ने सेमिनार में आए किसानों और विशेषज्ञों का स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि दिनेश भोसले, पूर्व अध्यक्ष, कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने डीडीजीएस के उत्पादन और गुणवत्ता नियंत्रण के महत्व पर प्रकाश डाला, जिससे पशु आहार की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

कार्यशाला के अन्य वक्ताओं में डॉ. अरुण शर्मा और डॉ. मधुसुमन ने भी पशु पोषण और डीडीजीएस के महत्व पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद शर्मा, छात्र कल्याण अधिकारी डॉ. अशोक कुमार पांडा, पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार असरानी, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. चंद्रकांता, और लुधियाना के पशु पोषण विभागाध्यक्ष डॉ. उदयबीर सिंह चहल जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। निकटवर्ती गांवों के लगभग पचास किसान और सात गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी पशु आहार के रूप में डीडीजीएस के उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त की।

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