जैविक खेती

सटीक खेती प्रौद्योगिकियों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन: कृषि उत्पादन में नवाचार और तकनीकी समाधान

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में सटीक खेती प्रौद्योगिकियों पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य बागवानी और वानिकी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में सुधार लाना था। विशेषज्ञों ने किसानों के संसाधनों को संरक्षित रखते हुए अधिकतम उत्पादन हेतु सटीक खेती को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान और जल प्रबंधन विभाग के प्रिसिजन फार्मिंग डेवलपमेंट सेंटर (पीएफडीसी) द्वारा इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्री साइंटिस्ट्स (आईएसटीएस) के सहयोग से आयोजित की गई, जिसमें 200 से अधिक किसानों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।

संगोष्ठी के समापन सत्र में अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने किसानों के लिए लागत प्रभावी तकनीकों के विकास पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सटीक खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का समावेश कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंद्र देव ने किसानों की आय बढ़ाने में नवाचार की भूमिका पर चर्चा की। संगोष्ठी संयोजक और मृदा विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. उदय शर्मा ने कहा कि इस संगोष्ठी में प्राप्त सुझाव भविष्य में कार्यक्रमों की दिशा को बेहतर बनाने में सहायक होंगे।

तीन तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की। डॉ. टी.बी.एस. राजपूत ने जल प्रबंधन की अहमियत पर बात करते हुए 2047 तक जल उपयोग दक्षता 40% से बढ़ाकर 60% करने की आवश्यकता बताई। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के डॉ. संजीव कुमार संदल ने पहाड़ी इलाकों के लिए पॉलीहाउस और ड्रिप सिंचाई जैसे तकनीकी समाधानों पर जोर दिया। इस दौरान, कृषि में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने के लिए हल्के उपकरणों की जरूरत पर भी चर्चा की गई।

वानिकी में सटीक कृषि पद्धतियों पर आयोजित सत्र में शूलिनी विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रो. पी.के. खोसला ने पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन की आवश्यकता पर बल दिया। इसी तरह, पर्यावरणीय गिरावट को कम करने हेतु ईएसजी मानदंडों का पालन और जिम्मेदार निवेश की सलाह भी दी गई।

डॉ. नीलेश ने हाइड्रोपोनिक खेती की तकनीक पर प्रकाश डाला, वहीं डॉ. रोहिताश ने आईओटी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे अत्याधुनिक समाधानों के बारे में जानकारी दी। डॉ. संतोष पिंगले ने जलवायु परिवर्तन और जल उपयोग दक्षता में स्मार्ट तकनीकों की भूमिका को रेखांकित किया। सेमिनार ने सटीक खेती के क्षेत्र में नई दिशा और अंतर्दृष्टि प्रदान की और हितधारकों के बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।


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