तकनीक और नवाचार

चौधरी सरबन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर: नवम्बर के पहले पखवाड़े में आवश्यक कृषि एवं पशुपालन कार्य

परिचय
हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए, नवम्बर माह के पहले पखवाड़े में फसल उत्पादन और पशुपालन में किए जाने वाले कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। चौधरी सरबन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय के वैज्ञानिकों ने इस अवधि में आवश्यक कृषि एवं पशुपालन कार्यों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। इन सुझावों का पालन करके किसान अपनी फसलों की उत्पादकता में वृद्धि कर सकते हैं।

फसल उत्पादन

गेहूं

हिमाचल प्रदेश में रबी मौसम की मुख्य फसल के रूप में गेहूं का उत्पादन किया जाता है। शुरुआत में इसे ठंडा मौसम अनुकूल रहता है, जबकि गर्म वातावरण के कारण जड़ों का विकास बाधित होता है और बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

  • प्रमुख किस्में: निचले और मध्यवर्ती क्षेत्रों के किसान एच.पी.डब्ल्यू-155, एच.पी.डब्ल्यू-236, वी.एल-907, एच.एस-507, एच.एस-562, एच.पी.डब्ल्यू-349, एच.पी.डब्ल्यू-249, और एच.पी.डब्ल्यू-368 किस्मों का चयन कर सकते हैं।
  • बीज उपचार: बीजों को रोगमुक्त रखने के लिए रैक्सिल (1 ग्राम प्रति कि.ग्रा.), बैविस्टिन, या विटावैक्स (2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा.) से उपचारित करना चाहिए।
  • खरपतवार नियंत्रण: जहां अक्टूबर में गेहूं की बिजाई की गई है और खरपतवार 2-3 पत्तियों की अवस्था में हैं, वहां 35-40 दिनों के भीतर आइसोप्रोटूरान 75 डब्ल्यू.पी. (70 ग्राम प्रति कनाल) या वेस्टा (16 ग्राम प्रति कनाल) का छिड़काव करें।

मसूर

मसूर की प्रमुख किस्में विपाशा (एच.पी.एल.-5) और मारकंडे (ई.सी.-1) का चयन करें। बिजाई के लिए उपयुक्त समय नवम्बर का पहला पखवाड़ा है।

  • बीज दर: बड़ी प्रजातियों के लिए 55-60 किग्रा/हेक्टेयर और छोटी प्रजातियों के लिए 25-30 किग्रा/हेक्टेयर।
  • बिजाई विधि: बीजों को 25-30 से.मी. दूरी पर पंक्तियों में बोएं।

सब्जी उत्पादन

प्याज

निचले और मध्यवर्ती क्षेत्रों में प्याज की उन्नत किस्मों जैसे पटना रैड, नासिक रैड, पालम लोहित, पूसा रैड आदि की पनीरी तैयार करें।

  • बीज उपचार: बिजाई से पहले बैविस्टिन (2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा.) से बीज का उपचार करें।
  • खाद प्रबंधन: प्रति हेक्टेयर खेत में 200-250 क्विंटल गली सड़ी गोबर की खाद डालें और 12:32:16 मिश्रण खाद का प्रयोग करें।

मटर

निचले और मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में मटर की उन्नत किस्में जैसे पालम समूल, पी.वी.-89, जी.एस.-10 आदि की बिजाई करें।

  • खाद प्रबंधन: खेत में 200 क्विंटल गोबर की खाद, 12:32:16 मिश्रण उर्वरक, म्यूरेट आफ पोटाश, और यूरिया डालें।

अन्य सब्जियां

फूलगोभी, बन्दगोभी, ब्रोकली आदि की रोपाई करते समय 45-60 से.मी. की दूरी रखें। पालक, लैट्यूस, मेथी, धनिया आदि का भी यही समय उपयुक्त है। खेत में 100 क्विंटल गली सड़ी गोबर की खाद और 12:32:16 मिश्रण उर्वरक का प्रयोग करें।

  • सिंचाई और निराई: सब्जियों में 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें और निराई-गुड़ाई के साथ 40-50 किग्रा यूरिया प्रति हेक्टेयर डालें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button