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चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय: 46 वर्षों की सेवा और समर्पण का जश्न

पालमपुर, 1 नवंबर। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने 46 वर्षों से कृषि शिक्षा, अनुसंधान, और विस्तार सेवाओं में अनुकरणीय योगदान दिया है। 1 नवंबर 1978 को स्थापित इस विश्वविद्यालय का नाम जून 2001 में हिमाचल प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चौधरी सरवण कुमार के नाम पर रखा गया। तब से यह पहाड़ी कृषि को सुदृढ़ बनाने, ग्रामीण समुदायों को सशक्त करने और कृषि अनुसंधान को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने के उद्देश्य से लगातार आगे बढ़ता आ रहा है।

विश्वविद्यालय ने अपनी यात्रा की शुरुआत 1966 में कृषि महाविद्यालय के रूप में की थी और वर्तमान में इसके चार घटक महाविद्यालय हैं: कृषि महाविद्यालय, डॉ. जी.सी. नेगी पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय और आधारभूत विज्ञान महाविद्यालय। यहां 7 स्नातक, 26 मास्टर और 15 डॉक्टरेट कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान की जाती है। अब तक 9,589 से अधिक विद्यार्थी यहां से शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न सरकारी, निजी और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

उपलब्धियां और रैंकिंग
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF-2024) के अनुसार, चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के राष्ट्रीय संस्थानों में 19वें और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में 15वें स्थान पर है। यह वर्ष विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत चार वर्षीय स्नातक ऑनर्स डिग्री शुरू करने वाला राज्य का पहला विश्वविद्यालय बन गया है।

अनुसंधान एवं विकास
वर्तमान में, विश्वविद्यालय में छह देशों और भारत के 14 राज्यों से लगभग 2,000 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अनुसंधान निदेशालय में तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र और राज्यभर में स्थित 13 अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से कृषि, पशु चिकित्सा, सामुदायिक विज्ञान और आधारभूत विज्ञान में शोध कार्यों का नेतृत्व किया जा रहा है। विश्वविद्यालय ने 182 उच्च उपज वाली फसलों की किस्में विकसित की हैं और 165 से अधिक कृषि प्रौद्योगिकियां एवं उपकरण किसानों के लिए संस्तुत किए हैं। इसके अतिरिक्त, जैव विविधता संरक्षण और किसानों के हितों की रक्षा के लिए पीपीवी और एफआरए के तहत फसलों के पंजीकरण को प्राथमिकता दी जा रही है।

सहयोग एवं विस्तार शिक्षा
विश्वविद्यालय ने प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ 45 एमओयू किए हैं और 20 से अधिक कंपनियों के साथ लाइसेंसिंग समझौते भी किए हैं, जिससे अनुसंधान एवं विस्तार गतिविधियों को एक नई दिशा मिली है। इसके विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित प्रशिक्षण और आउटरीच कार्यक्रम राज्य के किसानों को उन्नत कृषि तकनीक से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने इस अवसर पर कहा कि यह विश्वविद्यालय पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य कर रहा है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमारी प्रतिबद्धता है कि सतत कृषि, नवाचार और ग्रामीण समुदायों के सशक्तिकरण के लिए कार्य करते रहें। विश्वविद्यालय की यह यात्रा कृषि परिवर्तन, शैक्षिक उत्कृष्टता और सामुदायिक सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाती है, और हम इस समर्पण को भविष्य में भी बनाए रखने के लिए तत्पर हैं।

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