पालमपुर, 7 नवंबर। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. तिलक राज शर्मा ने शोध के महत्व पर बल दिया। उन्होंने प्रतिभागियों और युवाओं से आह्वान किया कि वे कृषि अनुसंधान में साहित्यिक खोज और समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करें, जो कि शोध का महत्वपूर्ण आधार है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि मार्गदर्शक से सीखते हुए उनके साथ व्यावसायिक संबंध बनाए रखना एक मूल्यवान पहल है, जो अनुसंधान में फंडिंग की चुनौतियों को हल करने में सहायक साबित हो सकता है।
इस अवसर पर संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. नवीन कुमार ने किसानों को रोगमुक्त, रसायनमुक्त और गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध करवाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जोर दिया कि किसानों के साथ मिलकर खेतों में काम करना, फसलों का अधिक उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है।
संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य:
इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य पादप रोग अनुसंधान में नवाचार, एकीकृत रोग प्रबंधन, आणविक प्रगति, जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकी और मशरूम की खेती जैसे विषयों पर चर्चा करना है। विभिन्न सत्रों में 6 आमंत्रित व्याख्यान, 22 मौखिक प्रस्तुतियाँ और 116 पोस्टर प्रदर्शन किए जाएंगे।
भारतीय फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष एवं बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) के विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश शर्मा और आईपीएस उत्तरी क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार ने भी अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के दौरान सेवानिवृत्त पादप रोग विशेषज्ञों का सम्मान भी किया गया, जिसमें डॉ. बृजमोहन सिंह, डॉ. एस.के. सुग्गा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद कौशल, डॉ. जितेंद्र पाल सिंह, डॉ. कुशल सिंह राणा, डॉ. बृजमोहन शर्मा, और अन्य विशेषज्ञ शामिल थे।
संगोष्ठी में नई दिल्ली, पंतनगर, जम्मू और कश्मीर, सोलन, लुधियाना, अमृतसर, और पालमपुर से लगभग 170 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस अवसर पर पादप रोग विज्ञान से संबंधित तीन पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया गया।