पालमपुर, 21 नवंबर – चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने किन्नौर जिले के जनजातीय किसानों और बागवानों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया। इन शिविरों का उद्देश्य किसानों को उन्नत और क्षमतावान फसलों की खेती के लिए उपयोगी जानकारी प्रदान करना था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया जा सके।
कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने जानकारी दी कि भारत सरकार के “समन्वित अनुसंधान तंत्र जनजातीय उप-परियोजना” के तहत इन शिविरों का आयोजन किया गया। यह शिविर किन्नौर की सुगरा, चगांव और सापनी पंचायतों में आयोजित हुए। इनमें किसानों को स्थानीय कृषि उत्पादों की खेती के नए तरीकों और उन्हें सुरक्षित रखने के उपायों पर जानकारी दी गई।
विश्वविद्यालय के जैविक कृषि एवं प्राकृतिक खेती विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. गोपाल कतन, आत्मा परियोजना निदेशक डॉ. रितेश गुप्ता, और उप-परियोजना निदेशक डॉ. राजेंद्र चौधरी ने इन शिविरों में भाग लिया। उन्होंने किसानों को खेती के आधुनिक तकनीकों, उत्पाद संरक्षण, और पंजीकरण प्रक्रिया से अवगत कराया।
डॉ. गोपाल कतन ने बताया कि इन शिविरों में 200 से अधिक किसान और बागवान शामिल हुए। पंचायत प्रतिनिधियों ने भी इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया, जिनमें सुगरा पंचायत के प्रधान राकेश कुमार, चगांव की प्रधान कांता देवी और सापनी के उपप्रधान प्यार चंद का विशेष योगदान रहा।
मुख्य बिंदु:
- जनजातीय किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी।
- प्रशिक्षण में क्षमतावान फसलों पर विशेष चर्चा।
- 200+ किसानों और बागवानों ने भाग लिया।
- पंचायतों और वैज्ञानिकों का सामूहिक सहयोग।