डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के सिल्विकल्चर और एग्रोफोरेस्ट्री विभाग ने “कनेक्टिंग पीपल एंड प्लैनेट: एक्सप्लोरिंग डिजिटल इनोवेशन इन वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन” थीम के तहत वन्यजीव संरक्षण दिवस मनाया। यह आयोजन वन्यजीव संरक्षण में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका और सतत विकास के लिए उसके प्रभाव को रेखांकित करता है।
कार्यक्रम की मुख्य गतिविधियां
कार्यक्रम के दौरान बीएससी वानिकी के छात्रों के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य छात्रों में वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में योगदान देने के लिए प्रेरित करना था। प्रतियोगिताओं ने छात्रों और शिक्षकों को संरक्षण के महत्व और इसमें वन्यजीवों की भूमिका पर अपने विचार साझा करने का अवसर प्रदान किया।
कार्यक्रम में वानिकी महाविद्यालय के डीन, डॉ. सीएल ठाकुर, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण में आवास संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि आक्रामक प्रजातियों का प्रसार आवासों के लिए बड़ा खतरा है, जिससे मानव-पशु संघर्ष बढ़ता है। उन्होंने संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने में तकनीकी नवाचारों की भूमिका पर विशेष जोर दिया।
सिल्विकल्चर और एग्रोफोरेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. डीआर भारद्वाज, ने पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में वन्यजीवों की भूमिका और खाद्य श्रृंखलाओं में ‘कीस्टोन प्रजातियों’ के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने पक्षी संरक्षण में बर्ड रिंगिंग की उपयोगिता पर भी चर्चा की।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के परिणाम
प्रतियोगिता में छह स्नातक टीमों ने भाग लिया।
- विजेता टीम: तृतीय वर्ष के छात्र- आस्था, अदिति और हर्षित।
- द्वितीय स्थान: कार्तिक, अन्वी और कुमुद।
- तृतीय स्थान: विभूति, जसविंदर और प्रकृति।
कार्यक्रम में सहभागिता
इस आयोजन में डॉ. रोहित बिशिष्ठ, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. प्रेम प्रकाश, और अन्य संकाय सदस्य जैसे डॉ. राजीव धीमान एवं डॉ. प्रशांत शर्मा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम में स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों की उत्साही भागीदारी रही।
विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता
यह आयोजन विश्वविद्यालय की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इसने पृथ्वी की जैव विविधता और उसके आवासों की रक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य को सशक्त किया।
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