डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के मृदा विज्ञान और जल प्रबंधन विभाग ने कोटला पंजोला पंचायत में विश्व मृदा दिवस मनाते हुए स्वस्थ मृदा के महत्व पर जोर दिया। इस वर्ष की थीम ‘मिट्टी की देखभाल: माप, निगरानी, प्रबंधन’ थी।
कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने 25 एमएससी और पीएचडी छात्रों के साथ किसानों को मिट्टी के नमूने एकत्र करने की सही तकनीक सिखाई। इसके साथ ही, मिट्टी के पोषक तत्वों के महत्व, फसल उत्पादन पर उनके प्रभाव और जैविक आदानों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने पर चर्चा की गई। इस पहल के अंतर्गत किसानों के खेतों से 75 मिट्टी के नमूने एकत्र कर विश्लेषण के लिए विश्वविद्यालय भेजे गए। परिणामों के आधार पर, किसानों को मृदा प्रबंधन की उपयुक्त सिफारिशें प्रदान की जाएंगी।
छात्रों ने विश्वविद्यालय फार्म का भी दौरा किया, जहां प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और रासायनिक खेती के अंतर को स्पष्ट किया गया। इसके अलावा, पादप रोग विज्ञान विभाग द्वारा मशरूम उद्यमिता पर एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने किसानों को जलवायु परिवर्तन के दौर में स्वस्थ मिट्टी के महत्व को समझने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में ‘धरती माता’ का स्थान विशेष है, और इसे बचाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने आधुनिक कृषि तकनीकों और प्राकृतिक खेती पद्धतियों को अपनाने पर जोर दिया।
मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. उदय शर्मा ने सटीक मृदा डेटा और टिकाऊ प्रबंधन के महत्व को रेखांकित किया। वहीं, अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने पर्यावरण-अनुकूल खेती और जैव विविधता को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया।
कार्यक्रम में 150 से अधिक किसानों ने भाग लिया। पंचायत प्रधान हेमराज कश्यप, उपप्रधान बलराम, और अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और छात्र भी उपस्थित रहे।