समग्र शिक्षा, हिमाचल प्रदेश और डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने कृषि क्षेत्र में छात्रों के व्यावसायिक कौशल को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया है। इस समझौते का उद्देश्य राज्य के 227 सरकारी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा के 11,900 से अधिक छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना और उन्हें कृषि आधारित उद्यमशीलता के लिए तैयार करना है। ₹2.8 करोड़ के इस एमओयू के तहत, एक अत्याधुनिक इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी, जो छात्रों को आधुनिक कृषि तकनीकों और व्यावसायिक कौशल का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करेगा।
परियोजना के मुख्य बिंदु
- आधुनिक सुविधाओं की स्थापना
इस परियोजना के तहत, आधुनिक कृषि उपकरण, स्मार्ट क्लासरूम और प्रयोगशालाओं से सुसज्जित इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा। - प्रगतिशील पाठ्यक्रम
कक्षा 9 से 12 के लिए 40-60 घंटे का विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, रोबोटिक्स, और उन्नत कृषि पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। - व्यावहारिक अनुभव
छात्रों को इंटर्नशिप, कार्यशालाओं और क्षेत्रीय दौरों के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जाएगा। - ग्रामीण विकास में योगदान
छात्र स्थानीय कृषि परियोजनाओं में भाग लेंगे और नवीन समाधान विकसित करेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप
यह पहल भारत सरकार की स्टार्स परियोजना का हिस्सा है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है। इसका मुख्य उद्देश्य शैक्षिक संस्थानों और उद्योगों के बीच की खाई को पाटना और व्यावसायिक शिक्षा को व्यावहारिक और रोजगारपरक बनाना है।
वक्तव्य और दृष्टिकोण
समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने इस परियोजना की सराहना करते हुए कहा कि यह छात्रों को कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करेगा और उनकी व्यावहारिक क्षमताओं को विकसित करेगा।
नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने इसे कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों को बढ़ावा देने और कृषि को एक आकर्षक करियर विकल्प बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि छात्रों को कृषि में नवाचार और उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित करना अत्यावश्यक है, क्योंकि यह क्षेत्र व्यापक संभावनाओं से भरा हुआ है।
निष्कर्ष
यह समझौता हिमाचल प्रदेश में व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। यह न केवल छात्रों को कृषि आधारित व्यवसायों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि राज्य की कृषि उत्पादकता में भी सुधार करेगा।