सरकारी नीतियां

कृषि एवं पशुपालन कार्य: दिसंबर 2024 माह के दूसरे पखवाड़े के लिए सुझाव

प्रसार शिक्षा निदेशालय, चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के कृषि एवं पशुपालन विशेषज्ञों ने किसानों के लिए दिसंबर माह के दूसरे पखवाड़े में अपनाए जाने वाले कृषि और पशुपालन कार्यों की विस्तृत सलाह जारी की है। इन सटीक और समयबद्ध सुझावों को अपनाकर किसान अपनी फसल और पशुधन का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं।


गेहूं की फसल

  • खरपतवार नियंत्रण: निचले क्षेत्रों में नवंबर में बोई गई गेहूं की फसल में यदि खरपतवारों की 2-3 पत्तियां निकल आई हैं, तो वेस्टा (मेटसल्फयूरॉन मिथाईल 20 WP + क्लोडिनाफॅाप प्रोपार्जिल 15 WP) का 16 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी में छिड़काव करें।
  • 2,4-डी का उपयोग: क्लोडिनाफॅाप के छिड़काव के 2-3 दिन बाद 2,4-डी (50 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी) का प्रयोग करें। ध्यान दें कि यदि गेहूं के साथ चौड़ी पत्ती वाली फसल बोई गई हो, तो 2,4-डी का उपयोग न करें।

दलहनी एवं तिलहनी फसलें

  • निराई-गुड़ाई: यदि खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायन का प्रयोग नहीं किया गया है, तो यह समय दलहनी एवं तिलहनी फसलों में निराई-गुड़ाई करने का है।

सब्जी उत्पादन

  1. प्याज:
    • तैयार पौध को 15-20 सेंटीमीटर पंक्तियों और 5-7 सेंटीमीटर पौधों के बीच की दूरी पर रोपें।
    • रोपाई के समय प्रति हेक्टेयर 250 क्विंटल गोबर की खाद, 235 किलोग्राम इफको मिश्रित खाद (12:32:16), 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 105 किलोग्राम यूरिया डालें।
    • रोपाई के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।
  2. आलू:
    • कुफरी ज्योति, कुफरी गिरिराज, कुफरी चंद्रमुखी जैसी सुधरी किस्मों का चयन करें।
    • 30 ग्राम वजन वाले, रोगरहित कंदों का उपयोग करें और बुआई से पहले उन्हें डाईथेन एम-45 (25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) में 20 मिनट तक उपचारित करें।
    • खेत में बुआई 45-60 सेंटीमीटर पंक्तियों और 15-20 सेंटीमीटर कंद के बीच की दूरी पर करें।
    • खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राटाफ 60 ग्राम, एरेलान 70 ग्राम या गोल 40 मि.ली. को 30 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  3. अन्य सब्जियां:
    • फूलगोभी, बंदगोभी, पालक, मेथी, मटर और लहसुन जैसी सब्जियों में निराई-गुड़ाई करें।
    • 1.5-2 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर डालें।

फसल संरक्षण

  • तेले/एफिड नियंत्रण:
    सरसों और गोभी वर्गीय फसलों में तेले का प्रकोप होने पर मैलाथियान 50 ई.सी. (30 मि.ली. प्रति 30 लीटर पानी) का छिड़काव करें।
  • चने की फसल:
    फली छेदक सुंडी का प्रकोप दिखने पर साइपरमिथरिन (1 मि.ली. प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।
    • फेरोमोन ट्रैप (25 ट्रैप/हेक्टेयर) लगाएं।
  • दीमक और सफेद सुंडी:
    गोभी की रोपाई से पहले क्लोरपाईरीफॉस 20 ई.सी. (2 लीटर) को 25 किलोग्राम रेत में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें।

पशुधन प्रबंधन

सर्दियों में देखभाल:

तापमान में गिरावट के कारण पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए उचित उपाय करें।

लक्षण जैसे भूख न लगना, तेज बुखार, या त्वचा पर धब्बे दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

चारे का प्रबंधन:

सूखा चारा खा रहे पशुओं को 40 ग्राम खनिज लवण प्रतिदिन दें।

सरसों मिश्रित जई की कटाई कर पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराएं।

अन्य उपाय:

    • दूध निकालने के बाद थनों पर वैसलीन लगाएं।
    • भैंसों में गर्भाधारण सुनिश्चित करने के लिए 2-3 महीने में निरीक्षण कराएं।

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