पालमपुर, 21 दिसंबर।
चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना (SAPCC) के तहत कृषि मिशन पर एक दिवसीय परामर्श संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो नवीन कुमार ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियों पर चर्चा करते हुए छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका पर इसके प्रभाव को उजागर किया। उन्होंने कृषि प्रणाली में जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं को तेजी से अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
तकनीकी नवाचार और सहयोग पर चर्चा:
सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने अपने संस्थान द्वारा विकसित नवीनतम प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी दी और कहा कि ये सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप हैं। उन्होंने जलवायु-लचीलेपन को बढ़ाने के लिए नवाचारों के महत्व पर जोर दिया।
शिमला के पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DEST & CC) के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. एस.सी. अत्री ने हिमाचल प्रदेश राज्य कार्य योजना के तहत की गई प्रगति और भविष्य की योजनाओं का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास और राज्य संस्थानों के सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
बागवानी और वित्तीय अनुकूलन में प्रगति:
हिमाचल प्रदेश बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक और विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित बागवानी परियोजना के टीम लीडर डॉ. प्रबल ठाकुर ने जलवायु-लचीली बागवानी प्रथाओं को मजबूत करने में परियोजना की सफल पहलों पर चर्चा की।
जीआईजेड (CAFARI) के विशेषज्ञों डॉ. आलोक पांडे और उनके सहयोगियों ने जलवायु अनुकूलन, लचीलापन और जलवायु वित्त पर जानकारी साझा की।
कार्यशाला समन्वयक डॉ. रणबीर सिंह राणा ने पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और चुनौतियों पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत-जर्मन सहयोग और CAFRI पहल के तहत क्षेत्रीय समस्याओं और उनके संभावित समाधानों पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला का निष्कर्ष:
कार्यशाला में सभी प्रमुख हितधारकों ने हिमाचल प्रदेश में जलवायु-अनुकूल कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने और SAPCC के कृषि मिशन को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। कार्यक्रम में प्रसार निदेशक डॉ. विनोद शर्मा, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर डॉ. आर.के. कपिला, डॉ. चंद्रकांता और डॉ. शारदा सिंह सहित अनेक विशेषज्ञों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।