पालमपुर, 23 दिसंबर। चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के कुलपति प्रोफेसर नवीन कुमार ने कहा कि मशरूम की खेती शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है। यह खेती कम लागत, आसान तकनीक, उच्च पोषण मूल्य और बढ़ती मांग के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रही है। राष्ट्रीय मशरूम दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कुलपति ने विद्यार्थियों और उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि मशरूम उत्पादन जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसके माध्यम से कृषकों की आय बढ़ाई जा सकती है।
राष्ट्रीय मशरूम दिवस पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन
विश्वविद्यालय ने इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया, जिसमें छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और नवाचार का प्रदर्शन किया। भाषण प्रतियोगिता में कृषि महाविद्यालय के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। पार्थ कालिया ने पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि शेखर और वंशिका क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
नारा लेखन प्रतियोगिता में कनिष्क ने पहला, स्वस्ति ने दूसरा और कशिश ने तीसरा स्थान हासिल किया। पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में सिमरन और उनकी टीम ने पहला, प्रियांशी और उनकी टीम ने दूसरा तथा आशीष और उनकी टीम ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
विशेषज्ञों का योगदान और थीम पर जानकारी
डॉ. प्रदीप कुमार, निदेशक, सीएमआरटी इकाई, और डॉ. दीपिका सूद, पीआई, एआईसीआरपी मशरूम, ने मशरूम उत्पादन की आधुनिक विधियों और इसके व्यावसायिक अवसरों पर जानकारी दी। इस वर्ष की थीम “जलवायु आधारित वर्ष भर मशरूम उत्पादन” पर चर्चा करते हुए, डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि मशरूम उत्पादन जलवायु-स्मार्ट कृषि में कैसे सहायक हो सकता है। उन्होंने छात्रों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए मशरूम की खेती के महत्व को समझाया।
राष्ट्रीय मशरूम दिवस के इस आयोजन ने छात्रों और किसानों को मशरूम की खेती, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने का एक मंच प्रदान किया। यह भारत के कृषि और खाद्य उद्योग को नई दिशा देने में सहायक साबित होगा।