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नौणी विश्वविद्यालय और एचआईएल ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए साझेदारी की

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी और हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड (एचआईएल) ने भारत में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह साझेदारी वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) और संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (यूएनआईडीओ) द्वारा संचालित ‘फोस्टरिंग एग्रोकेमिकल रिडक्शन एंड मैनेजमेंट’ (FARM) परियोजना के तहत हुई है।

इस पहल का उद्देश्य कृषि में रसायनों के उपयोग को कम करना और प्राकृतिक खेती जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है। एचआईएल, जो रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत आता है, इस समझौते के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता को दर्शा रहा है कि वह पारंपरिक कृषि रसायनों के स्थान पर जैविक और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प विकसित करेगा।

समझौते के मुख्य उद्देश्य:

  1. कृषि भूमि का रूपांतरण: इस परियोजना के तहत 1.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि को जैविक और प्राकृतिक खेती में परिवर्तित किया जाएगा।
  2. स्वास्थ्य सुरक्षा: 1.5 मिलियन किसानों और श्रमिकों को हानिकारक कीटनाशकों के संपर्क से बचाने का लक्ष्य है।
  3. पायलट मॉडल का विकास: रासायनिक उपयोग को कम करने के लिए पायलट परियोजनाओं के माध्यम से प्रभावी समाधान विकसित करना।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह साझेदारी न केवल प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी बल्कि इसे पूरे देश में लागू करने के लिए एक मजबूत मॉडल भी प्रस्तुत करेगी।

अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं में सहभागिता

नौणी विश्वविद्यालय पहले से ही यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित ACROPICS कंसोर्टियम का हिस्सा है, जो कृषि पारिस्थितिकीय फसल संरक्षण के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देता है। साथ ही, इसे राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत सात केंद्रों में से एक के रूप में भी चुना गया है।

ग्लोबल फार्म परियोजना की भूमिका

इक्वाडोर, भारत, केन्या, लाओ पीडीआर, फिलीपींस, उरुग्वे और वियतनाम जैसे देशों की सरकारों द्वारा संचालित यह परियोजना कृषि क्षेत्र को विषमुक्त बनाने के लिए एक समर्पित प्रयास है। भारत में यह परियोजना 10 राज्यों में कई फसलों पर केंद्रित होगी, जहां पर्यावरण-अनुकूल फसल सुरक्षा समाधानों को बढ़ावा दिया जाएगा।

निष्कर्ष

यह साझेदारी भारत में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और कृषि क्षेत्र में टिकाऊ विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। एचआईएल और नौणी विश्वविद्यालय का यह सहयोग न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगा बल्कि किसानों के लिए आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्रदान करेगा।


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