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नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल को ‘रबीन्द्रनाथ टैगोर स्मृति पुरस्कार’ से सम्मानित

सोलन स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल को भारतीय प्राच्य विरासत संस्थान (IIOH), कोलकाता द्वारा प्रतिष्ठित ‘रबीन्द्रनाथ टैगोर स्मृति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय कृषि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया।

कोलकाता में आयोजित हुआ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

यह सम्मान उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल श्री जिष्णु देव वर्मा द्वारा कोलकाता में आयोजित 46वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय प्राच्य विरासत सम्मेलन में प्रदान किया गया। इस सम्मेलन में भारतीय संस्कृति, विरासत और प्राच्य ज्ञान पर विचार-विमर्श के लिए विश्वभर के विद्वान एकत्रित हुए। इस अवसर पर नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश और इंडोनेशिया के छात्रों को भी डिग्री प्रदान की गई।

प्राकृतिक खेती में योगदान के लिए विशेष सम्मान

प्रो. चंदेल को विशेष रूप से प्राकृतिक खेती के माध्यम से भारतीय कृषि को सशक्त बनाने के उनके प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने और सतत कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कई नवाचार किए हैं। उनकी प्रमुख भूमिका ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (PK3Y)’ के सफल क्रियान्वयन में रही है, जिससे हजारों किसानों को आर्थिक और पारिस्थितिक लाभ प्राप्त हुए हैं।

अन्य प्रतिष्ठित सम्मान

प्रो. चंदेल को हाल ही में एंटोमोलॉजी कल सोसाइटी ऑफ इंडिया के लाइफ फेलो और सोसाइटी फॉर द साइंस ऑफ क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के फेलोशिप अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, वे आईसीएआर (ICAR) की राष्ट्रीय सलाहकार समिति, आईसीएआर सोसायटी की सामान्य निकाय और शासी निकाय, और प्राकृतिक खेती पर आईसीएआर समिति के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं।

किसानों और महिलाओं के लिए प्रयास

प्रो. चंदेल प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिक अनुसंधान और डेटा संग्रहण में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। वे किसानों, विशेषकर महिला किसानों को सशक्त बनाने और सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं में कार्यरत हैं।

सम्मान प्राप्त करने पर प्रो. चंदेल की प्रतिक्रिया

‘रबीन्द्रनाथ टैगोर स्मृति पुरस्कार’ प्राप्त करने पर प्रो. चंदेल ने भारतीय प्राच्य विरासत संस्थान (IIOH) के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह सम्मान प्राकृतिक खेती और सतत कृषि के लिए उनके प्रयासों को और सशक्त करेगा।


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