
पर्यावरण-अनुकूल और स्थायी कृषि को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने हाल ही में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (N.M.N.F.) के तहत तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा संचालित किया गया, जिसमें पंजाब से आए प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती की नवीनतम तकनीकों से अवगत कराया गया। यह प्रशिक्षण सत्र एन.एम.एन.एफ. के अंतर्गत स्थापित प्राकृतिक खेती केंद्र द्वारा आयोजित किए जा रहे बैचों की श्रृंखला का दूसरा संस्करण था।
प्रमुख हितधारकों की भागीदारी
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंजाब कृषि विभाग, बागवानी विभाग और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी शामिल हुए। इसके अतिरिक्त, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक (कृषि आजीविका) और विभिन्न जिलों से आए किसान भी इस ज्ञानवर्धक सत्र का हिस्सा बने। विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों, उनकी उपयोगिता और हिमाचल प्रदेश में सफलतापूर्वक लागू किए गए तरीकों के बारे में गहन जानकारी प्रदान की।
प्राकृतिक खेती के लाभ और विशेषज्ञों के अनुभव
कार्यक्रम के दौरान, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंद्र देव ने किसानों को टिकाऊ कृषि तकनीकों को अपनाने की अनिवार्यता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि यह न केवल वर्तमान कृषि व्यवस्था के लिए लाभकारी है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित और समृद्ध कृषि प्रणाली प्रदान करने में सहायक होगी।
प्रशिक्षण के दौरान, सोलन के प्रगतिशील किसान शैलेंद्र शर्मा ने भी अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और उनकी कृषि पद्धतियों में सुधार हुआ।
कुलपति का संदेश और भविष्य की योजनाएँ
कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इस बदलाव की शुरुआत किचन गार्डन और छोटे स्तर पर प्राकृतिक खेती को अपनाकर की जा सकती है। उनका उद्देश्य पूरे पंजाब में पर्यावरण-अनुकूल और रसायन मुक्त खेती को प्रोत्साहित करना है।
आगामी प्रशिक्षण सत्र
डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय आने वाले महीनों में और भी प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की योजना बना रहा है। इन सत्रों में किसानों, वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों और स्थानीय प्राकृतिक खेती संस्थानों के प्रतिनिधियों को भाग लेने का अवसर मिलेगा। यह पहल भारत में टिकाऊ कृषि के विस्तार और पर्यावरण-अनुकूल खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।