हिमाचल

कृषि आय बढ़ाने के लिए खाद्य प्रणालियों और कृषि पारिस्थितिकी में परिवर्तन आवश्यक

परिचय

भारत में कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए खाद्य प्रणालियों और कृषि पारिस्थितिकी में बदलाव की आवश्यकता है। हाल ही में, डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में कंसोर्टियम फॉर एग्रो इकोलॉजिकल ट्रांसफॉर्मेशन (CAT) के तहत उत्तरी क्षेत्र में कृषि पारिस्थितिकी के माध्यम से प्रणालीगत परिवर्तन पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस सम्मेलन में दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब और उत्तराखंड के 70 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

सम्मेलन का आयोजन एवं सहयोगी संस्थान

इस बैठक का आयोजन CAT, नौणी विश्वविद्यालय और GIZ इंडिया के संयुक्त सहयोग से किया गया। इसके अन्य प्रमुख साझेदारों में इंडिया क्लाइमेट कोलैबोरेटिव, भारत एग्रोइकोलॉजी फंड, CEEW, खेती विरासत मिशन, हिम RRA नेटवर्क और अन्य संगठनों की भागीदारी रही।

प्रमुख बिंदु एवं विशेषज्ञों के विचार

  1. कृषि पारिस्थितिकी का महत्त्व प्रसिद्ध खाद्य नीति विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कृषि पारिस्थितिकी को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कृषि बजट में वृद्धि और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए मूल्य निर्धारण नीतियों में सुधार का सुझाव दिया। उनका मानना था कि खेती को युवाओं के लिए आकर्षक बनाने हेतु आर्थिक नीतियों में बदलाव आवश्यक है।
  2. प्राकृतिक खेती का लाभ नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर एस. चंदेल ने प्राकृतिक खेती के लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने नागरिक समाज और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग को कृषि पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
  3. खाद्य प्रणालियों में सुधार भारत एग्रोइकोलॉजी फंड के मिन्हाज अमीन ने भारत की खाद्य प्रणालियों में सुधार की आवश्यकता जताई और कृषि पारिस्थितिकी को संकटों का संभावित समाधान बताया। उन्होंने कृषि क्षेत्र में सहयोग और समर्थन बढ़ाने का आह्वान किया।
  4. ग्लोबल सहयोग की आवश्यकता GIZ इंडिया के उटे रीकमैन ने जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता संरक्षण और भूमि क्षरण से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने ज्ञान प्रबंधन और अनुसंधान की महत्ता को रेखांकित किया।
  5. नीतिगत बदलाव आवश्यक खेती विरासत मिशन के उमेंद्र दत्त ने कृषि, स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्रालयों के बीच सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने सभी कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) और विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती सेल स्थापित करने की बात कही।

कृषि पारिस्थितिकी परिवर्तन का रोडमैप

CAT ने कृषि पारिस्थितिकी परिवर्तन के लिए तीन ब्लॉक-स्तरीय क्षेत्रों को चिन्हित किया है और देशभर में सात और क्षेत्रों का चयन किया जाएगा। यह पहल 7-10 वर्षों तक जारी रहेगी, जिसमें किसान-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाते हुए कृषि-पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न हितधारकों के सहयोग से संसाधन जुटाए जाएंगे। CAT ने नौणी विश्वविद्यालय के साथ अनुसंधान एवं क्षमता निर्माण में सहयोग करने की भी इच्छा जताई।

निष्कर्ष

कृषि पारिस्थितिकी में परिवर्तन और खाद्य प्रणालियों में सुधार भारतीय कृषि को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि, उपभोक्ता स्वास्थ्य की सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखा जा सकता है। इस दिशा में सरकारी, निजी और नागरिक समाज के संगठनों का संयुक्त प्रयास बेहद महत्महत्वपूर्ण होगा।


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